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Henna farming

कम लागत पर मोटा मुनाफा, मेहंदी की खेती से करें लाखों की कमाई

कम लागत पर मोटा मुनाफा, मेहंदी की खेती से करें लाखों की कमाई

क्या आपने कभी ऐसी फसल के बारे में सुना है, जिसकी एक बार की खेती के बाद अगले बीस से तीस सालों तक अच्छा उत्पादन मिलता रहे. इतना ही नहीं बेहद कम लागत और सीमित सिंचाई संसाधन के जरिये आप सालाना लाखों की कमाई कर सकते हैं. हम जिसकी बात कर रहे हैं, वह है मेहंदी. हमारे देश में हर दिन कोई ना कोई उत्सव मनाया जाता है. तीज त्योहार से लेकर शादी ब्याह तक में मेहंदी का शगुन सबसे शुभ माना जाता है. जिसे महिलाएं खूब पसंद करती हैं. इतना ही नहीं मेहंदी का इस्तेमाल खूबसूरती निखारने के कास्मेटिक के तौर पर भी किया जाता है. वहीं यह एक बेहतरीन औषधी भी है. मेहंदी के अनगिनत गुण और लोकप्रियता की वजह से भारत में इसकी डिमांड दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है. इसी वजह से मेहंदी की खेती करने वाले किसानों को काफी मुनाफा हो रहा है. देश दुनिया में मेहंदी की खूब डिमांड है, जिसका फायदा उठाते हुए आप भी मोटा मुनाफा कमा सकते हैं. मेहँदी एक तरह की झाड़ीदार फसल है, जो बारह महीनों उगती है. व्यवसाय करने के लिहाज से इसका उत्पादन किया जाता है. इसके प्राकृतिक रंग की वजह से इसकी लोकप्रियता पूरी दुनियाभर में है. बालों से जुड़ी कोई समस्या हो या कोई स्किन इंफेक्शन. हर किसी का इलाज मेहंदी के पास है. इसका इस्तेमाल किसी भी सूरत में शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाता है. मेहंदी की खेती सबसे टिकाऊ खेतियों में से एक है. जो पर्यावरण के लिए भी अच्छी मानी जाती है.

औषधीय गुणों से भरपूर है मेहंदी

मेहंदी में औषधीय गुणों की भरमार है. चलिए जानते हैं इसके औषधीय गुणों के बारे में भी.
  • कई तरह की दवाइयों में मेहंदी के पत्तों से लेकर छाल, फल और बीजों का इस्तेमाल किया जाता है.
  • कफ और पित्त की समस्या से निपटने में मेहंदी मददगार है.
  • नींद, बुखार, ब्लड सर्क्युलेशन एयर दस्त से जुड़ी समस्याओं का हल मेहंदी से बनी दवाइयों से किया जाता है.
  • कुष्ठ रोग से छुटकारा पाने के लिए मेहंदी की पत्तियों और फूलों से बने लेप का इस्तेमाल किया जाता है.
  • अगर सिर में दर्द और पीलिया की समस्या है तो इससे उबरने के लिए मेहंदी की पत्तियों के रस को पीने की सलाह दी जाती है.
  • गर्मियों के मौसम में लू और स्ट्रोक से बचने के लिए हाथों और पैरों मेहंदी लगाई जाती है.
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जानिए व्यवसायिक लाभ

व्यवसायिक फसल के तौर पर मेहंदी की खेती को देखा जाता है. वहीं राजस्थान के पाली में मेहंदी की सबसे ज्यादा खेती की जाती है. जहां से दुनिया के कोने कोने तक इसे पहुंचाया जाता है. इसके अलावा देश के कई राज्यों में भी मेहंदी की खेती व्यवसाय के लिहाज से की जाती है.

खेती के लिए कैसी हो जलवायु और तापमान?

चाय की तरह दिखने वाला मेहंदी का पौधा झाड़ीदार होता है. इसकी शाखाओं में कांटे भी होते हैं. मेहंदी के फूल गुच्छों में खिलते हैं, जोकि सफ़ेद रंग के होते हैं. अगर आपने एक बाद मेहंदी की फसल लगा ली, तो समझिये सालों की फुरसत हो जाएगी. जिन इलाकों में पानी की कमी होती है, वहां पर मेहंदी खूब पनपती है. देश में अच्छी मिट्टी और सही जलवायु वाले राज्य जैसे हरियाणा, राजस्थान, यूपी, पंजाब, एमपी, छत्तीसगढ़ और गुजरात है. जहां मेहंदी का उत्पादन अच्छा होता है. इसकी अच्छी क्वालिटी की पैदावार कम बारिश वाले इलाकों से लेकर ज्यादा बारिश वाले इलाकों में करीब 30 से 40 डिग्री सेंटीग्रेट वाले तपमान के बीच में होती है.

सही मिट्टी का चुनाव बेहद जरूरी

बलुई मिट्टी मेहंदी की खेती के लिए काफी अच्छी होती है. इसके अलावा पथरीली, कंकरीली, बंजर जैसी हर तरह की जमीन पर इसकी खेती हो जाती है. मेहंदी की खेती के लिए जमीन का pH मान लगभग 7.5 से 8.5 के बीच होनी चाहिए. मेहंदी की खेती के लिए जलवायु की बात करें तो, इसका पौधा शुष्क और उष्णकटिबंधीय दोनों ही तरह की जलवायु में बढ़ता है.

जान लीजिये खेती का सही समय

फरवरी से मार्च के महीने की बीच में मेहंदी की खेती करना अच्छा होता है. आप चाहें तो सीधे बीजों या फिर पौधे लगाकर इसकी खेती शुरू कर सकते हैं. लेकिन इससे पहले खेत से सरे खरपतवार को अच्छी तरह से हटा दें. उसके बाद खेत की जुताई करके उसे समतल कर लें. उसके बाद मेहंदी की बुवाई करना शुरू करें.

कैसे करें खेत तैयार?

मेहंदी की खेती के लिए सबसे पहले खेत को तैयार करना जरूरी है. बारिश के सीजन की पहली बरसात से दो से तीन बार गहरी जुताई करें. ताकि जमीन में मौजूद हानिकरक कीट मर जाएं. लेकिन जुताई करने से पहले खेत में सदी गोबर की खाद या कम्पोस्ट प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 8 से 10 टन तक डाल दें. ऐसा करने से उत्पादन अच्छा होगा. दीमक की समस्या से निपटने के लिए मिट्टी में मिथाइल पाराथियान का चूर्ण मिला दें.

ना भूलें बीजोपचार

मेहंदी की खेती के लिए बीजोपचार करना बेहद जरूरी है. ये उपचार रोपाई से पहले जड़ों में किया जाता है. ताकि किसी भी तरह से फसल खराब न हो. क्लोरोपाईरिफास या फिर नीम और गो मूत्र के घोल से मेहंदी की जड़ों का बीजोपचार कर सकते हैं.

कितनी हो बीजों की मात्रा?

अगर आप मेहंदी की कहती करना चाहते हैं, तो उससे पहले आपको बुवाई के लिए कितने बीजों की मात्रा की जरूरत होगी, इसकी जानकारी होनी चाहिए. मेहंदी की खेती करने के लिए 20 किलोग्राम बेज प्रति हेक्टर के हिसाब से काफी होते हैं. वहीं नर्सरी में बुवाई से पहले डेढ़ से दो हफ्तों तक इसके बीजों को पानी में डालकर रखते हैं. जिसका पानी रोज बदलना चाहिए. जिसके बाद इससे छांव में सुखा दिया जाता है. मेहंदी की रोपाई करते वक्त आप इस बात का ध्यान रखें कि, पौधों की लाइन के बीचक कम से कम 50 सेंटीमीटर और एक पौधे की दूसरे पौधे से दूरी करीब 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए. ये भी देखें: गुणों से भरपूर रसभरी, उन्नत किस्म की खेती से करें पूरे साल कमाई

कैसे करें नर्सरी तैयार?

अगर आप मेहंदी की खेती करने की सोच रहे हैं, तो इसकी व्यावसायिक खेती के लिए बीज या फिर कलम की मदद से पौधे को तैयार किया जा सकता है. कलम तकनीक से पौधे को तैयार करने से जल्दी पैदावार मिलती है. वहीं बीज से पौधा तैयार करने के लिए, उन्नत बीजों की किमस का चयन करना चाहिए. उसके लिए 3 फीसद नमक के घोल से बीजों का उपचार करना ना भूलें. मेहंदी की नर्सरी को तैयार करने के लिए, 50 से 60 किलोग्राम बीजों का इस्तेमाल प्रति हेक्टेयर जमीन के हिसाब से किया जाना चाहिए. इसके अलावा जब पौधे की लम्बाई 40 सेंटीमीटर से ज्यादा हो जाए तो, जड़ों से करीब 8 सेंटीमीटर की लम्बाई के बाद पौधे की कटिंग करनी चहिये.

कब पड़ेगी सिंचाई की जरूरत?

विशेषज्ञों के मुताबिक मेहंदी की बुवाई के समय मिट्टी का अच्छी तरह गीली होना बेहद जरूरी है. जिसके बाद खेती को सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती. ज्यादा सिंचाई से मेहंदी के पत्ते रंग नहीं देते. अगर जमीन बहुत ज्यादा सूखी तो एक सिंचाई की जरूरत पड़ सकती है.

जानिए पैदावार और कटाई के बारे में

अगर मेहंदी के पेड़ की पत्तियां पीली पड़ रही हैं और झड रही हैं, तो उसकी शाखाओं को काट देना चाहिए. मार्च से अप्रैले के बीच में मेहंदी की पहली कटाई की जानी चाहिए. वहीं दूसरी कतई अक्टूबर से नवंबर के महीने में की जानी चाहिए. इसकी कटाई जमीन से करीब तीन से चार इंच ऊपर की जानी चाहिए. मेहंदी की पहली फसल से करीब एक हजार से डेढ़ हजार किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सूखी पत्तियां मिलती हैं. लेकिन शुरुआत के तीन सालों तक इसकी पैदावार आधी रहती है. मेहंदी की एक बाद की फसल से अगले 20 से 30 सालों तक खूब उत्पादन मिलता है. ये भी देखें: गुलाब में लगने वाले ये हैं प्रमुख कीड़े एवं उनसे बचाव के उपाय अगर आप कम लागत में मोटा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो मेहंदी की खेती में अपना हाथ आजमा सकते हैं. क्योंकि हर सीजन में इसकी डिमांड रहती है. आप अपनी उपजी हुई मेहंदी को सीधा कम्पनियों में बेच सकते हैं. जिसकी अच्छी खासी रकम आपको मिल सकती है. हालांकि देश में 90 फीसद मेहंदी का उत्पादन सिर्फ राजस्थान में ही किया जाता है. मेहंदी की फसल जल्दी खराब नहीं होती. साथ ही किसानों को इससे किसी तरह के नुकसान होने का डर भी नहीं रहता.
विश्व प्रसिद्ध सोजत मेहंदी की सबसे ज्यादा खेती कहाँ होती है

विश्व प्रसिद्ध सोजत मेहंदी की सबसे ज्यादा खेती कहाँ होती है

राजस्थान के पाली जनपद में सोजत मेहंदी की सबसे अधिक खेती होती है। यहां के छोटे-बड़े कारोबारी मेहंदी का कारोबार कर के अपने परिवार का भरण-पोषण बेहद अच्छे ढ़ंग से कर रहे हैं। यहां की मेहंदी को जीआई टैग भी प्राप्त हो चुका है। जीआई टैग मिलने के उपरांत यहां के कारोबारियों की जिम्मेदारियां काफी बढ़ गई हैं। अपने कारोबार के प्रति इतने इमानदार हैं, कि आज सोजत मेहंदी पूरी दुनिया की सर्वाधिक विश्वसनीय मेहंदी ब्रांड बन चुका है। मेहंदी का नाम कान में पड़ते ही हमारे दिमाग में हाथों पर तरह-तरह की उकेरी गई डिजाईन उभर आती हैं। वहीं, लाल रंग की मेहंदी के लिए सोजत मेंहदी पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी है। इस मेहंदी के साथ महिलाओं का भरोशा इतना मजबूत है, कि जिसकी कोई हद नहीं है। किसी और मेहंदी को लेकर सभी को एक दुविधा सी रहती है, कि ये हाथ में लगाने के उपरांत चटक रंग छोड़ेगा अथवा नहीं। वहीं, कोई दूसरी मेहंदी इतना लाल रंग छोड़ रही है, तो एक दुविधा ये भी रहती है, कि कहीं इसमें कोई रसायन तो नहीं मिलाया गया है। परंतु, सोजत मेहंदी के साथ ऐसा कुछ नहीं है।

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सोजत मेहंदी की दिन-प्रतिदिन बढ़ती विश्वसनीयता

लोगों के बीच इसकी विश्वसनीयता दिन-प्रति दिन बढ़ती ही जा रही है। जानकारी हो, कि राजस्थान के पाली जनपद में सोजत मेहंदी की सबसे ज्यादा खेती होती है। यहां के छोटे-बड़े व्यापारी मेहंदी का व्यापार कर के अपने परिवार का भरण-पोषण काफी अच्छे से कर रहे हैं। यहां की मेहंदी को जीआई टैग भी प्राप्त हो चुका है। जीआई टैग मिलने के बाद यहां के कारोबारियों की जिम्मेदारियां काफी बढ़ गई हैं। वहां के कारोबारी अपने कारोबार के प्रति इतने इमानदार हैं, कि आज सोजात मेहंदी संपूर्ण विश्व का सबसे ज्यादा विश्वसनीय मेहंदी ब्रांड बन चुका है।

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मेहंदी को महिला श्रृंगार का एक महत्वपूर्ण भाग माना जाता है

प्रत्येक धर्म की महिलाओं के श्रृगांर में मेहंदी का अपना विशेष महत्व है। एक तरह से हम कह सकते हैं, कि मेहंदी के बिना किसी भी धर्म की महिलाओं का श्रृंगार अधूरा ही रहता है। विशेष अवसर पर मेहंदी की महत्वता काफी बढ़ जाती है। विशेषकर मांगलिक अवसर पर अथवा तीज-त्योहार में सावन के महीने में महिलाएं हाथों में मेहंदी लगा कजरी गाती हैं। इन समस्त अवसरों पर महिलाओं की पहली पसंद सोजत मेहंदी ही है। क्योंकि, यह पूरी तरह से रसायन मुक्त होता है, जिसकी वजह से हाथों में जो चटक रंग चढ़ता है। सोजत मेहंदी का अपना रंग होता है, बिल्कुल नेचुरल जिससे किसी भी तरह से त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचता है।

महिलाओं की सोजत मेहंदी के व्यापार में हिस्सेदारी

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि आज हर क्षेत्र में महिलाओं की सहभागिता बढ़ती ही जा रही है। महिलाओं का विश्वास जितना आज सोजत मेहंदी पर उतना किसी और मेहंदी पर नहीं होता है। आज बहुत सारी महिलाऐं व्यूटी पार्लर चला रहीं हैं अथवा स्वतंत्र रुप से शादी-विवाह में जाकर मेहंदी लगाती हैं। दरअसल, वे सभी सामान्यतः सोजत मेहंदी ही लगाती हैं। एक आंकड़े के अनुसार, मेहंदी के कारोबार में 80 प्रतिशत महिलाओं की हिस्सेदारी है।